शत्रु को पीडित करने के वशीकरण उपाय
संघर्ष मानव जीवन का अभिन्न अंग है| यह संघर्ष परिस्थितिजन्य हो तो आप उसका सामना सरलता से कर लेते हैं, परंतु यदि यह किसी ज्ञात अथवा अज्ञात शत्रु द्वारा रचे गए कुचक्रों का परिणाम हो तो, मृत्यु तुल्य कष्ट देती है| शत्रुओं से मुक्ति के लिए अनेक आजमाए हुए टोटके हैं, इनका सही तरीके से प्रयोग किया जाए तो शत्रु शमन सुनिश्चित है|
शत्रु वशीकरण प्रयोग
शत्रुओं पर विजय पाने के लिए शत्रु वशीकरण प्रयोग सर्वाधिक मान्य उपाय है| इसके लिए आप निम्नलिखित प्रयोगों में से किसी को भी अपनी सुविधानुसार आजमा सकते हैं –
- मंगलवार अथवा शनिवार की रात हनुमान जी के मस्तक से सिंदूर से किसी मोरपंख पर शत्रु का नाम लिखें, अपने घर के मंदिर में रात भर के लिए रख दें| सुबह बिना शौच तथा स्नान किए उस मोर पंख को बहते हुए जल में बहा दें| इस उपाय से शत्रु वश में आता है तथा शत्रुता छोड़ मित्र बन जाता है|
- भोजपत्र के टुकड़े पर रक्त चंदन से अपने शत्रु का नाम लिखें तथा उसे शहद की शीशी में डुबाकर रख दें| शत्रु पूरी तरह वश में आ जाएगा|
- शत्रु का नाम जितने अक्षर का हो, उतनी ही संख्या में गोमती चक्र लेकर, सभी पर शत्रु का नाम लिखें तथा भूमि में गाड़ दें| शत्रु का परास्त होना सुनिश्चित है|
शत्रु वशीकरण मंत्र
मंत्रों में अपार शक्ति होती है, यदि इनका जाप नियमानुसार किया जाए, किसी भी समस्या का हल चुटकियों में किया जा सकता है| शत्रु वशीकरण हेतु नीचे कुछ प्रभावी मंत्र दिये गए हैं –
ॐ भ्रं धूं धूं ठ: ठ: हूं हूं ॐ|
उपर्युक्त मंत्र का जाप विधि-विधान से करने पर ही परिणाम देता है| इसलिए जाप विधि का अक्षरश: पालन करें
जाप विधि: रविवार को काले रंग के उनी आसन पर, काला वस्त्र धारण कर दक्षिण दिशा में मुंह कर बैठें, अपने सम्मुख, भुजंगी, काले रंग का कपड़ा तथा सरसो के तेल का दीपक तथा लोबान आदि रखें| अब भुजंगी को काले कपड़े में बांधकर पोटली जैसी बना लें, दीपक तथा लोबान जलाएँ| पाँच दिन तक नित्य ग्यारह सौ बार ऊपर लिखे मंत्रों का जाप हकीक अथवा रुद्राक्ष की माला पर करें| इस जाप के बाद भुजंगी मंत्र सिद्ध हो जाएगा| छठे दिन भुजंगी की पोटली अपने शत्रु के घर अथवा दफ्तर में चुपचाप रख दें| इसके बाद वह पूरी तरह आपके वश में आ जाएगा|
ॐ ह्यं सर्व दुष्ट ग्रह निवारणाय स्वाहा।
हनुमान जी की प्रतिमा अथवा चित्र के सम्मुख शनिवार से प्रारम्भ कर कार्य सिद्धि होने तक एक माला उपर्युक्त मंत्र का जाप करें| शत्रु यदि अत्यधिक कष्ट दे रहा हो तो जाप की संख्या बढ़ाई जा सकती है| इस मंत्र के निरंतर जाप से शत्रुओं का नाश होता है|
नृसिंहाय विद्यहे, वज्र नखाय धी मही तन्नो नृसहिं प्रचोदयात!!
उपर्युक्त मंत्र निरंतर तंग कर रहे शत्रुओं को काबू करने में अत्यंत उपयोगी है| सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत होकर इस मंत्र का जाप करने से पुराना शत्रु भी शत्रुता भूलकर मित्र बन जाता है|
हमें जो सतावे, सुख न पावे सातो जनम,
ठतनी अर्ज सुन लीजे, वीर भैरा, आज तुम।
जितने हाए शत्रु मेरे, और जो सताए मुझे।
वाही का रक्त-पान, स्वान कराओ।
मार मार खण्डन से , कांत डारो माथ उनके।
कालका भवानी, सिंह डारे माथ उनके।
कालका भवानी, सिंह-वाहिनी की छोड़।
मैंने करी आस तेरी, अब करो काज इतनो तुम।
उपर्युक्त दोहा प्रसिद्ध श्री वीर भैरो मंत्र है जो शत्रु को वश में करने के लिए अचूक माना जाता है| इस मंत्र का जाप शनिवार अथवा मंगलवार को किया जा सकता है| इसके लिए सर्वप्रथम नारियल, लाल फूल की माला, अगरबत्ती से हनुमान जी अर्थात श्री वीर की पूजा करें, प्रसाद में बूंदी का लड्डू चढ़ाएँ तथा सात पर ऊपर लिखे मंत्र का जाप करें| सात मंगलवार अथवा शनिवार को उक्त मंत्र का जाप करने से इच्छित परिणाम प्राप्त होते हैं|
शत्रु को पीड़ित करने के उपाय
कई शत्रु ऐसे होते हैं जिन पर साधारण उपाय काम नहीं करता है, ऐसे में कुछ ऐसे उपाय श्रेयस्कर हैं जिनसे वह स्वयं पीड़ाग्रस्त हो जाएँ अथवा नाना उलझनों में उलझकर रह जाएँ| स्मरण रहे ऐसे उपाय यदि सिर्फ दूसरों को दुख देने के लिए किए जाएँ तो प्रायः परिणाम विपरीत ही निकलते हैं|
- शनिवार अथवा मंगलवार की रात किसी कागज पर चिता भस्म या काजल से कागज पर अपने शत्रु का नाम लिखें, तथा उसे मकड़ी के जाले में अच्छी तरह लपेट लें, किसी सुनसान स्थान पर स्थित पीपल अथवा कीकर के पेड़ के नीचे रात्रि ग्यारह बजने के पश्चात एक गड्ढा खोदें, उसके बाद वह कागज, एक मुट्ठी उड़द, एक मुट्ठी चावल मिलाकर एक मिट्टी की हांडी में रखेँ| अब एक नींबू पर पुनः काजल से शत्रु का नाम लिखेँ तथा उसकी आकृति बना दें| अब शत्रु का ध्यान करते हुए 21 बार निम्नलिखित मंत्र का जाप करें –
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं विकट भैरवाय मम शत्रून
नाशय नाशय त्रासय त्रासय ताडय ताडय ह्रीं ह्रीं ह्रीं फट।
इस मंत्र को पढ़ते हुए इक्कीस बार नींबू पर सिंदूर छिड़कें, पुनः 3 लौंग लें, बारी-बारी से एक-एक लौंग पर 11 बार इसी मंत्र को पढ़कर शत्रु के जिस जिस अंग पर पीड़ा देनी हो, नींबू पर उत्कीर्ण आकृति के ऊपर गाड़ दें| पुनः शत्रु का नाम लेकर 3 नींबू आकृति युक्त नींबू के ऊपर निचोड़ दें| अंत में सभी वस्तुओं को मिट्टी की हांडी में भरकर ढक्कन बंद कर दें तथा गड्ढे में दबाकर वापस आ जाएँ तथा पीछे मुड़कर ना देखें|
सावधानी: इस प्रयोग के समय अनेक शक्तियाँ प्रत्यक्ष हो जाती हैं, इसलिए 3 माला गुरु मंत्र का जाप तथा 5 बार हनुमान चालीसा का पाठ घर पर ही कर लेना श्रेयस्कर होगा| इसका प्रयोग निरीह तथा निर्दोष पर ना करें, उल्टा प्रभाव भी हो सकता है|
- साबुत काली उड़द के अड़तीस दाने तथा चावल के चालीस दानो को मिला लैं, अब किसी बगीचे या खेत में एक गड्ढा बनाकर उड़द तथा चावल के दानों को उसमे दबा दें| ऊपर से मिट्टी डालने के बाद उस पर नींबू निचोड़ दें, नींबू निचोड़ते समय अपने शत्रु का नाम निरंतर लेते रहें| इस उपाय से शत्रु की बर्बादी निश्चित है|
- यदि सभी उपाय करके हार चुके हों, तो शौच करते समय शौच में इस्तेमाल होने वाले जल से शत्रु का नाम लिखें, निवृत होने के बाद शौचालय से बाहर निकालने से पूर्व जहां नाम लिखा था अपने बाएँ पैर से तीन बार ठोकर मारें| यह टोटका ब्रम्हास्त्र के समान है, इसलिए इसका प्रयोग स्वार्थवश न करें|